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सामाजिक न्याय विभाग ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक कल्याण अधिनियम पर विशेष सत्र आयोजित किया

New Delhi: सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग , भारत सरकार ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) के सहयोग से वरिष्ठ नागरिकों के कानूनी अधिकारों, इन अधिकारों को सुविधाजनक बनाने वाली नीतियों/कार्यक्रमों और व्यक्तिगत स्तर पर और सामुदायिक स्तर पर इन अधिकारों के प्रवर्तन में समुदाय की भूमिका के बारे में जागरूकता लाने के लिए डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (डीएआईसी), नई दिल्ली में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 पर विशेष सत्र का आयोजन किया।
एमडब्ल्यूपीएससी अधिनियम, 2007, वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक कानूनी ढाँचा प्रदान करता है। यह अधिनियम यह अनिवार्य करता है कि बच्चे और निर्दिष्ट रिश्तेदार, माता-पिता सहित, वरिष्ठ नागरिकों को उनकी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए मासिक भरण-पोषण भत्ते के प्रावधान सहित, भरण-पोषण प्रदान करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य हैं।
इस सत्र में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश और नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति सूर्यकांत, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के वरिष्ठ अधिकारी , नालसा के कर्मचारी, विभिन्न विश्वविद्यालयों के विधि विभाग के संकाय/प्रोफेसर, वकील, विधि के छात्र, वरिष्ठ नागरिक और विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री, वीरेंद्र कुमार ने कहा कि आज के बुजुर्गों ने अपना जीवन परिवार, समुदाय और राष्ट्र निर्माण में समर्पित कर दिया है। हमारे राष्ट्र की जड़ें आज के बुजुर्गों के प्रयासों में निहित हैं। उन्होंने भारतीय परंपरा में संयुक्त परिवार मूल्य प्रणाली के महत्व और देश की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रगति में इसकी भूमिका पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि देश के युवाओं को वरिष्ठ नागरिकों की गरिमा बनाए रखने के लिए कदम उठाने होंगे।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय सशक्तिकरण , संवेदनशीलता और भागीदारी के तीन स्तंभों पर काम कर रहा है । सरकार द्वारा वृद्ध नागरिकों के कल्याण हेतु अनेक योजनाएँ चलाई जा रही हैं। राष्ट्रीय वयोश्री योजना के अंतर्गत 7 लाख से अधिक वरिष्ठ नागरिकों को सहायक उपकरण प्रदान किए गए हैं। एल्डरलाइन नामक टोल-फ्री नंबर 14567 के माध्यम से उन्हें भावनात्मक सहारा दिया जा रहा है। सरकार 70 वर्ष से अधिक आयु के प्रत्येक वरिष्ठ नागरिक को 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा प्रदान कर रही है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि बुजुर्ग ही युवा पीढ़ी का मार्गदर्शन करते हैं और एक प्रभावी एवं सद्गुणी समाज का निर्माण करते हैं। बदलते समय के साथ, तकनीकी प्रगति से अत्यधिक जुड़ी हुई वर्तमान दुनिया में बुजुर्गों के मुद्दों के प्रति ध्यान, सम्मान और केंद्रीयता में लगातार कमी आई है।
उन्होंने प्रस्ताव दिया कि हमारे समाधान मौजूदा ढाँचों पर आधारित होने चाहिए। माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007, इन दिशाओं में एक ऐतिहासिक कानून है जो हमारे वरिष्ठ नागरिकों की रक्षा करता है, यह कोई परोपकार नहीं बल्कि एक बाध्यकारी सामाजिक दायित्व है।
उन्होंने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और विधिक सेवा प्राधिकरणों, समाज कल्याण अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों और विधिक स्वयंसेवकों के बीच एक टीम के रूप में कार्य करने हेतु गहन सहयोग का आह्वान किया। उन्होंने देश के युवाओं से करुणा और दृढ़ विश्वास के साथ स्नेह का एक चक्र बनाने की भूमिका निभाने की अपील की।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता सचिव, अमित यादव ने अपने संबोधन में कहा कि देश में वरिष्ठ नागरिकों की आबादी 2011 में 10.38 करोड़ से बढ़कर 2050 में 34 करोड़ होने का अनुमान है। इस जनसांख्यिकीय बदलाव के कारण सरकार पर यह ज़िम्मेदारी आती है कि वह यह सुनिश्चित करे कि वरिष्ठ नागरिक सम्मान, सुरक्षा और सार्थक भागीदारी के साथ जीवन व्यतीत करें। उन्होंने डिजिटल और वित्तीय बदलावों के कारण बुजुर्गों के सामने आने वाली चुनौतियों का भी ज़िक्र किया और बताया कि कैसे युवा पीढ़ी और समग्र समुदाय को उनकी सहायता के लिए आगे आना चाहिए।
माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 पर विशेष सत्र में कार्यपालिका, न्यायपालिका, शिक्षा जगत, नीति निर्माताओं, गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) और छात्रों को वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए एमडब्ल्यूपीएससी अधिनियम 2007 की भूमिका पर विस्तार से चर्चा करने के लिए एक मंच पर लाया गया।

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